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मुहम्मद बिन तुगलक (जूना खां) कौन था? Muhammad bin tughlaq kon tha?

गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु जूना खा द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर हो गई थी जिसके पश्चात जूना खा मोहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठ गया। दिल्ली के सिंहासन पर बैठते ही उसने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी में स्थानांतरित की और इसका नाम बदलकर दौलताबाद रख दिया। यह शेख अलाउद्दीन  का शिष्य था मोहम्मद तुगलक मध्यकालीन सुल्तानों में सर्वाधिक शिक्षित विद्वान और योग्य व्यक्ति था इसने जिन प्रभाव सूर नामक जैन साधु के साथ भी विचार वमर्श किया था। यह सल्तनत का पहला शासक था जो अजमेर में शेख मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सालार मसूद गाजी के मकबरे में गया, मोहम्मद बिन तुगलक को उसकी सनक भरी योजनाओं क्रूर कृत्यों एवं दूसरे के सुख-दुख के प्रति उपेक्षा भाव रखता था, अतः इसे स्वप्नशील, पागल एवं रक्त पिपासु भी कहा जाता था मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल में नवीन सांकेतिक मुद्रा चलवाई जिनमें पीतल और  तांम्बा धातुओं के सिक्के सम्मिलित थे उनका मूल्य चांदी के रुपए टका के बराबर ही होता था। उसने अपने शासनकाल में डाक व्यवस्था एवं गुप्तचर व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए डाक चौकियों की स्थापना की कृषि के विकास एवं कृषि व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अमीर ए कोही नामक नई विभाग की स्थापना भी करवाई। इसने संतो की कब्र पर मकबरे बनवाएं जिनमें बदायूं में मीरन मूलहीम, अजू धन में शेख मुल्तान, ओलिया मुल्तान में शेख रुक्नुद्दीन और दिल्ली में शेख निजामुद्दीन औलिया आदि की कब्र थी। सिंध जाते समय थट्टा के निकट    गोडाल में 20 मार्च 1351 ई. को इसकी मृत्यु हो गई थी। 


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