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बहमनी राज्य की स्थापना किसने की? बहमनी राज्य की मंत्री परिषद। Bahmani rajya ki sthapna kisne ki? bahmani rajya ki mantriparishad.

बहमनी राज्य की स्थापना हसन गंगू के द्वारा 1347 ईस्वी में मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में की गई थी बाद में हसन गंगू अलाउद्दीन हसन बहमन साह के नाम से सिंहासन पर बैठा। स्थापना के बाद इसने अपने साम्राज्य को चार प्रांतों में बांटा 1. गुलबर्गा 2.दौलताबाद 3.बरार एवं 4.बीदर नाम के यह प्रांत बनाए इसने अपने राज्य की राजधानी गुलबर्गा को बनाया एवं राजभाषा मराठी थी। 11 फरवरी 1358 ईस्वी को इसकी मृत्यु हो गई इसकी मृत्यु के पश्चात इसका पुत्र मोहम्मद शाह प्रथम गद्दी पर बैठा मोहम्मद साहब प्रथम ने ही सबसे पहले बारूद का प्रयोग बुकका के विरुद्ध किया था। इसके पश्चात दाऊद प्रथम गद्दी पर बैठा यह कुछ ही समय तक  शासन कर पाया तत्पश्चात मोहम्मद शाह द्वितीय ने शासन की बागडोर संभाली इसने बहमनी राज्य पर 19 वर्षों तक शासन किया, जिसके बाद 1397 मैं ईस्वी में बहमनी राज्य की गद्दी पर ताजुद्दीन  फिरोज बैठा, इसने भीमा नदी के तट पर फिरोजाबाद की स्थापना की, इसने दौलताबाद के पास वेधशाला भी बनवाई यह खगोलिकी मैं रुचि रखता था, और इसे अपने शासनकाल में प्रोत्साहन भी देता था। इसने बहमनी राज्य पर 25 वर्षों तक शासन किया तत्पश्चात बहमनी राज्य की  शहाबुद्दीन अहमद प्रथम ने बागडोर संभाली इसने राजधानी को गुलबर्गा से हटाकर बीदर में स्थापित कर लिया और बीदर का नाम बदलकर एक नया नाम मोहम्मदाबाद रखा। बहमनी राज्य 175 वर्षों तक शासन में रहा। बहमनी राज्य का अंतिम शासक कलीम उल्लाह था, इसकी मृत्यु के पश्चात बहमनी राज्य 5 स्वतंत्र राज्यों में विभक्त हो गया-
1. बीजापुर
2.अहमदनगर
3.बरार 
4.गोलकुंडा
5.बीदर



बहमनी वंश के प्रमुख शासक 
1.अलाउद्दीन हसन बहमन 
2.मोहम्मद साहब प्रथम
3.अलादीन मुजाहिद सा
4.दाऊद प्रथम
5.मोहम्मद शाह द्वितीय
6.ताजुद्दीन फिरोज 
7.साहब उद्दीन अहमद प्रथम
8.अलादीन अहमद द्वितीय
9.सुल्तान शमसुद्दीन  मुहम्मद तृतीय
10. कलीम उल्लाह

बहमनी राज्य की मंत्री परिषद :- बहमनी राज्य की शासन व्यवस्था बहुत ही सुव्यवस्थित थी इसमें बदलाव मोहम्मद शाह प्रथम के शासनकाल में शुरू हुए इस दौरान इन्होंने कई विभाग बनाए एवं सुव्यवस्थित मंत्री परिषद बनाई जिनमें प्रत्येक मंत्री का अपना एक अलग कार्य निर्धारित किया गया था-
1. वकील -ए - सल्तनत :- यह एक उच्चतम पद होता था जो कि दिल्ली के मालिक नायब के समान होता था ।
2. वकील - ए - कुल :- इस पद का व्यक्ति सभी मंत्रियों के कार्य एवं व्यवस्था का निरीक्षण करता था जिसमें वकील शामिल नहीं था ।
3.वजीर - ए - अशरफ  :- इसका कार्य विदेश से जुड़ा हुआ होता था जिसमें विदेश नीति एवं दरबार संबंधी सभी कार्यों का निष्पादन वजीर ए अशरफ के द्वारा किया जाता था।
4. पेशवा :- इसका मुख्य कार्य वकील ए सल्तनत के कार्यों में सहायता प्रदान करना होता था अर्थात यह वकील ए सल्तनत का सहायक के रूप में कार्य करता था  ।
5.अमीर ए जुमला :- यह अर्थ विभाग का मुख्य अध्यक्ष होता था जो कि पूरे अर्थ विभाग की व्यवस्था को संभालता था 
6.नाजिर :- यह अमीर ए जुमला के के आधीन अर्थ विभाग से संबंधित होता था ।
7.  सद्रे-ऐ -जहां  :- यह धर्म दान एवं न्याय विभाग का अध्यक्ष होता था और इसका मुख्य कारण इन विभागों को नियंत्रित करने का होता था। 
8. सर -ए- नौबत :- यह सुरक्षा विभाग का प्रमुख अधिकारी होता था जिसके अंतर्गत सुल्तान महल तथा दरबार की सुरक्षा के लिए सैनिक दलों का नियंत्रण करता था।
9.साख- ए -खेल :- यह उन अंगरक्षक सैनिकों कादल होता था जो सुल्तान के महल एवं दरबार की सुरक्षा का दायित्व निभाते थे। 


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