कर्णिक - इसके पास जमीन के क्रय-विक्रय से संबंधित सभी प्रकार के दस्तावेज होते थे।
उम्बलि - यह लगान मुक्त भूमि की भू धारण पद्धति होती थी जो कि ग्राम में विशेष सेवाओं के बदले दी जाती थी।
कुटटगी- बड़े भूस्वामी एवं ब्राम्हण जो कृषि कार्य स्वयं नहीं करते थे, वह अपने खेतों को कृषि के लिए किसानों को पट्टे पर दे देते थे इस प्रकार की भूमि को कुटटगि कहा जाता था |
कूदि - यह कृषक या मजदूर होते थे जो भूमि के क्रय विक्रय के साथ ही हस्तांतरित हो जाते थे।
वीर पंजाल- यह दस्तकार वर्ग के लोग होते थे जो चेट्टियों की तरह व्यापार में निपुण होते थे।
कदाचार - विजयनगर साम्राज्य की शासन व्यवस्था में सैन्य विभाग को कदाचार कहा जाता था । दंडनायक या सेनापति - यह सैन्य विभाग का उच्च अधिकारी होता था
बड़वा - यह वह लोग होते थे जो उत्तर भारत से दक्षिण भारत में आकर बस जाते थे अतः इन्हें बड़वा कहा जाता था वेश वग - विजयनगर साम्राज्य के दौरान मनुष्यों का क्रय विक्रय किया जाता था अर्थात दास प्रथा प्रचलन में थी और इन मनुष्यों को वेगवग कहा जाता था
देवदासी - यह वे महिलाएं होती थी जो मंदिरों में रहती थी इनकी आजीविका के लिए शासन द्वारा भूमि या नियमित वेतन प्रदान किया जाता था।
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