कालीकट में वास्को डी गामा की मुलाकात जमोरिन से हुई, जमोरिन कालीकट के राजा की उपाधि हुआ करती थी जमोरिन वास्कोडिगामा से मित्र भाव से मिला जो कि अरब व्यापारियों को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, उन्होंने इस चीज का विरोध किया इसके बाद वास्कोडिगामा कालीकट पर रुका और भारत के व्यापार के बारे में जानकारी इकट्ठा की यहां पर रहकर वास्कोडिगामा ने व्यापार भी शुरू कर दिया वास्कोडिगामा ने भारत में मुख्य रूप से सोना गहनों एवं मसालों का व्यापार किया इसमें वास्कोडिगामा ने अपने आने जाने में होने वाले खर्च का लगभग 60 फिसदी अधिक मुनाफा कमाया। इसके बाद वास्कोडिगामा वापस यूरोप गया और वहां की सरकार से और व्यापारियों से भारत की स्थिति साझा की बताया कि किस प्रकार भारत में एक अच्छा व्यापार किया जा सकता है, कुछ समय पश्चात सन 1502 में वास्कोडिगामा पुनः भारत लौटा इस बार यूरोप की तरफ से एक वायसराय फ्रांसिस्को द अलमेडा भी भारत आया और भारत में व्यापार शुरू कर दिया वास्कोडिगामा अपने जीवन काल में तीन ही बार भारत आया अंतिम बार वह सन 1524 में भारत आया और यहीं पर उसकी मृत्यु हो गई।
पुर्तगालियों एवं यूरोपीय देशों के लिए भारत की खोज वास्कोडिगामा ने की लेकिन भारतीयों एवं एशियाई देशों अरब देशों के लिए वास्कोडिगामा ने भारत और यूरोप के बीच समुद्री मार्ग की खोज की।
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