- पागा सेना - यह नियमित घुड़सवार सैनिक हुआ करते थे जो कि घोड़े पर ही सवारी किया करते थे।
- सिलहदार- यह अस्थाई प्रकार के घुड़सवार सैनिक हुआ करते थे जिन्हें आवश्यकता होने पर ही घुड़सवारी करनी होती थी।
- पैदल सेना - यह नियमित रूप से पैदल ही युद्ध में भाग लिया करते थे। सन 1665 ईस्वी में बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने शिवाजी को पराजित करने के लिए अपने योग्य सेनापति अफजल खां को भेजा किंतु शिवाजी ने अफजल खान की हत्या कर दी, इसके बाद सन 1665 में ही शिवाजी ने महाराजा जय सिंह के साथ संधि कर ली जिसे पुरंदर की संधि कहा गया। मई 1666 ईस्वी में औरंगजेब ने शिवाजी को जयपुर के भवन में कैद कर लिया था। लेकिन 16 अगस्त 1666 ईस्वी में शिवाजी जयपुर के भवन से भाग निकले । इसके बाद शिवाजी 1672 ईस्वी में पन्हाला दुर्ग को बीजापुर से छीन लिया और 5 जून 1676 ईस्वी को रायगढ़ में प्रसिद्ध विद्वान श्री गंगा भट के द्वारा शिवाजी ने अपना राज्य अभिषेक करवाया श्री गंगा भट्ट मूल रूप से महाराष्ट्र के एक सम्मानित ब्राह्मण थे, लेकिन वह लंबे समय से वाराणसी में ही रह रहे थे शिवाजी ने अपने राज्य में एक सुव्यवस्थित और सुदृण शासन व्यवस्था बनाई। जिसमें शासन व्यवस्था के अंतर्गत शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था अष्टप्रधान में 8 प्रमुख पद हुआ करते थे जिनमें पेशवा का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सम्मान का होता था।
अष्टप्रधान-
- पेशवा - यह मंत्रिमंडल का सबसे ऊंचा और सम्मानित पद हुआ करता था जो राज्य का शासन एवं अर्थव्यवस्था की देखरेख किया करता था।
- सरी ए नौबत - इस पद पर अधीनस्थ अधिकारी सैन्य विभाग का प्रधान हुआ करता था और सैन्य विभाग की सारी व्यवस्था का जिम्मा उठाता था।
- न्यायाधीश - राज्य में सभी प्रकार के न्याय का कार्यभार न्यायाधीश को संभालना होता था।
- अमात्य - इस पद पर अधीनस्थ अधिकारी को राजस्व मंत्री कहा जाता था और यह है पूरे राज्य की आय-व्यय का लेखा-जोखा रखता था।
- वाकयानवीस - इस पद पर अधीनस्थ अधिकारी सूचना गुप्त चर एवं संधि विग्रह के विभागों का प्रमुख अध्यक्ष हुआ करता था एवं इस विभाग को संभालने का दायित्व निभाता था।
- सुमंत - यह अधिकारी विदेश का कार्यभार संभालता था अर्थात यह विदेश मंत्री होता था।
- चिटनिस - इस पद का अधिकारी राजकीय पत्रों को पढ़कर उसकी भाषा शैली को देखने एवं व्यवस्थित करने का काम किया करता था।
- पंडितराव - इस पद पर अधीनस्थ वह पंडित हुआ करता था जो सभी धार्मिक कार्यों की व्यवस्था को संभालता था एवं धार्मिक कार्यों के लिए तिथि एवं समय का निर्धारण करता था।
शिवाजी ने अपनी कर व्यवस्था को मलिक अंबर की कर व्यवस्था के आधार पर बनाया शिवाजी ने भूमि को रस्सी द्वारा माप की व्यवस्था को हटाकर काठी एवं मानक छड़ी के प्रयोग को आरंभ करवाया शिवाजी ने अपने शासनकाल में कुल उपज का 33% भाग राजस्व के रूप में बसूला जाने लगा जिसे बाद में बढ़ाकर 40% कर दिया गया था ,शिवाजी के द्वारा चौथ एवं सरदेशमुखी नामक कर भी लगाए गए। ।
- चौथ - यह वह कर होता था जो किसी एक क्षेत्र को बर्बाद ना करने के बदले में दी जाने वाली रकम के रूप में होता था।
- सरदेशमुखी - इस कर में शिवाजी अपने हक का दावा करके स्वयं को सर्वश्रेष्ठ देशमुख प्रस्तुत करना चाहते थे।
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