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खिलजी वंश की शासन व्यवस्था। khilji vans ki shasan vyavastha.

अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में सबसे पहले सेना को व्यवस्थित किया जिसने इतने सेना को नगद वेतन देने एवं सेना को स्थाई करने का काम किया दिल्ली के शासकों में इसके पास सबसे विशाल सेना थी इसने घोड़ा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत की सेना के बाद इसने भू राजस्व व्यवस्था को व्यवस्थित किया जिसमें भू राजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1/2 भाग कर दिया एवं लूट के धन संतान का हिस्सा 1/4 भाग के बदले 3/4 भाग कर दिया खिलजी ने व्यापार व्यवस्था संभालते हुए व्यापारियों की बेईमानी को रोकने के लिए कम तोलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश चलाया, अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में मूल्य नियंत्रण प्रणाली को दृढ़ता से लागू किया अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में बाजार व्यवस्था को सुद्रढ करने के लिए , अधिकारियों की नियुक्ति की एवं बाजार व्यवस्था को नियंत्रित किया-
दीवान ए रियासत - इसके अंतर्गत बाजार नियंत्रण की पूरी व्यवस्था होती थी जिसमें यह व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था। 
परवाना नवीस- यह अधिकारी वस्तुओं का परमिट जारी किया करते थे। 
बरीद- यह वह पद होता था जो बाजार के अंदर घूम कर बाजार का निरीक्षण करता था। 
सराय ए अदल- यह शहना ए मंडी के अंतर्गत ही आता था और इस स्थान में वस्त्र, जड़ी बूटी, शक्कर, दीपक का तेल मेवा एवं अन्य निर्मित वस्तुएं बेचने के लिए लायी जाती थी। 
शहना ए मंडी- इस स्थान पर खाद्यान्नों को बिक्री के लिए लाया जाता था यहां पर प्रत्येक बाजार में बाजार का एक अधीक्षक होता था। 

मुन हियान गुप्तचर- इस पद पर अधीन अधिकारी गुप्त सूचनाओं को प्राप्त करने का काम करता था। 
मुहतसिब एवं नाजिर - इसके अधिकारी बाजार में मूल्य नियंत्रण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। 
खिलजी शासन व्यवस्था में 2 नवीन कर जोड़े गए थे
1 चराई कर - यह दुधारू पशुओं पर लगाए जाने वाला कर था। 
2. गढी कर - यह कर घरों एवं झोपड़ियों पर लगाया जाता था

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