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विश्वास मत या अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है? (जाने आसान शब्दों में)

1. क्या है?
विश्वासमत या अविश्वास प्रस्ताव जिसे निंदा प्रस्ताव भी कहा जाता है, सदन की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार को सदन में यह साबित करना होता है कि सत्ता में बने रहने के लिए उनके पास 50 फ़ीसदी से अधिक सांसद या विधायक हैं यह साबित करने के लिए ही यह पूरी प्रक्रिया होती है फर्क सिर्फ इतना होता है कि विश्वास मत सरकारे खुद लाती हैं, जबकि अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष के द्वारा लाया जाता है पहला अविश्वास प्रस्ताव सन 1782 में लाया गया था।

2. क्यों लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?
अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्षी पार्टियों की सीधी सी मंशा होती है कि सरकार को सदन में अकेला किया जाए उसे कमजोर किया जाए या हो सके तो सरकार गिरा दी जाए।
    कई बार विपक्षी पार्टियों को यह भली-भांति पता होता है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने पर भी वह सरकार का कुछ नहीं कर सकती फिर भी वह अविश्वास प्रस्ताव लाती है इसके पीछे उनका सीधा सा मकसद होता है कि सदन को चर्चा के लिए राजी कर लेना क्योंकि यह चर्चा अमूमन 2 दिनों तक चलती है तो इस बीच विपक्ष को सरकार से बहस करने एवं अपनी बात को जनता तक पहुंचाने का समय एवं मौका मिल जाता है ।
                  आज के समय पर दो दलीय लोकतांत्रिक देशों में एक अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की आशंका कम ही होती है जबकि बहुदलीय लोकतांत्रिक देशों में यह आम होती है।

3. क्या होता है यदि सरका हार जाए या जीत जाए
सरकार विश्वासमत जीत जाए या अविश्वास प्रस्ताव गिर जाए दोनों ही स्थिति में सरकार को ही जीता माना जाता है| इस स्थिति में सरकार सत्ता में बनी रहती है और आगे का कार्यकाल संभालती है, और यदि सरकार विश्वास मत हार जाए या अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाए तो ऐसी स्थिति में सरकार को हारा माना जाता है ,और सरकार को प्रधानमंत्री सहित पूरी कैबिनेट को अपने पद से इस्तीफा देना होता है। और सरकार गिर जाती है।
                  और यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को यह लगता है कि वह हार जाएगा तो ऐसी स्थिति में वह इस्तीफा देने से पहले एवं अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग से पहले सदन भंग करने की मांग कर सकता है। किंतु यह जरूरी नहीं है कि उसकी इस मांग को मान लिया जाए, राष्ट्रपति या राज्यपाल चाहे तो दूसरे दल को सरकार बनाने का न्योता दे सकता है। और यदि वोटिंग टाई हो जाती है तो स्पीकर जोकि 1 सांसद ही होता है लेकिन पार्टी लाइन से अलग होता है बतौर टाईब्रेकर वोट कर सकता है। 
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